5 Simple Statements About Shodashi Explained
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The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and fulfill all ideal results and aspirations. It really is believed to invoke the mixed energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the last word intention of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all components of daily life.
Numerous fantastic beings have worshipped aspects of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali in the course of his whole existence, and at its end result, he paid out homage to Shodashi by way of his own spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in looking at the divine in all beings, and especially his lifetime husband or wife.
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
Worshippers of Shodashi find not simply material prosperity but additionally spiritual liberation. Her grace is claimed to bestow both equally worldly pleasures and also the indicates to transcend them.
वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।
तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥
Celebrated with fervor through Lalita Jayanti, her devotees search for her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, locating solace in her various sorts and the profound rituals connected with her worship.
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता click here है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।